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oapen-20.500.12657-257582022-04-26T11:20:16Z दुनिया ने जैसे सामाजिक मीडिया को बदल दिया - How the World Changed Social Media (Hindi) Miller, Daniel Costa, Elisabetta Haynes, Nell McDonald, Tom Nicolescu, Razvan Sinanan, Jolynna Spyer, Juliano Venkatram, Shriram Xinyuan, Wang दक्षिण भारत सामाजिक मीडिया मीडिया इंटरनेट Social media Society Culture Memes bic Book Industry Communication::G Reference, information & interdisciplinary subjects::GT Interdisciplinary studies::GTC Communication studies bic Book Industry Communication::J Society & social sciences::JF Society & culture: general::JFD Media studies bic Book Industry Communication::J Society & social sciences::JH Sociology & anthropology How the World Changed Social Media is the first book in Why We Post, a book series that investigates the findings of anthropologists who each spent 15 months living in communities across the world. This book offers a comparative analysis summarising the results of the research and explores the impact of social media on politics and gender, education and commerce. What is the result of the increased emphasis on visual communication? Are we becoming more individual or more social? Why is public social media so conservative? Why does equality online fail to shift inequality offline? How did memes become the moral police of the internet? Supported by an introduction to the project’s academic framework and theoretical terms that help to account for the findings, the book argues that the only way to appreciate and understand something as intimate and ubiquitous as social media is to be immersed in the lives of the people who post. Only then can we discover how people all around the world have already transformed social media in such unexpected ways and assess the consequences. दुनिया ने जैसे सामाजिक मीडिया को बदल दिया, हम क्यों पोस्ट करते हैं ग्रन्थ श्रृंखला का पहला ग्रन्थ है जो उन नौ मानवविज्ञानियों के निष्कर्षों पर जाँच करता है जिन्होंने दुनिया भर के समूहों में १५ महीने तक बिताया जिसमे शामिल है ब्राज़ील, चिली, चीन, इंग्लैंड, भारत, इटली, ट्रिनिडाड और टर्की. यह ग्रन्थ एक तुलनात्मक विश्लेषण को प्रदान करता है जो अनुसंधान के परिणाम को संक्षेप में प्रस्तुत करता है और राजनीति और लिंग, शिक्षा और व्यापार पर सामाजिक मीडिया के प्रभाव का पता लगाता है. दृश्य संचार पर बढ़ते हुए ज़ोर का परिणाम क्या है? क्या हम अधिक व्यक्तिगत या सामाजिक बनते हैं? क्यों सार्वजनिक सामाजिक मीडिया अधिक रूढ़िवादी होता है? क्यों ऑनलाइन समानता ऑफलाइन असमानता को बदलने में असफल होता है? कैसे मिमी इंटरनेट के नैतिक पुलिस बन गए? परियोजना के शैक्षिक ढाँचा और सैद्धांतिक शर्तों, जो निष्कर्षों के उत्तरदायी होने में मदद करते हैं, के परिचय से समर्थित होकर यह ग्रन्थ तर्क करता है कि सामाजिक मीडिया जैसे अन्तरंग और सर्वव्यापक वास्तु को समझने और मूल्यांकन करने का एक ही रास्ता पोस्ट करनेवाले लोगों के जीवन में तल्लीन होकर रहना है. तभी हम पता लगा सकते हैं कि दुनिया भर के लोगों ने जैसे सामाजिक मीडिया को अभी तक अप्रत्याशित तरीकों से बदल दिया हैं और उनके परिणाम पर आकलन कर सकते हैं. 2019-03-14 13:38:30 2020-04-01T10:48:20Z 2020-04-01T10:48:20Z 2019 book 1004330 OCN: 1100524659 9781787354930 http://library.oapen.org/handle/20.500.12657/25758 hin Why We Post application/pdf Attribution-NoDerivatives 4.0 International How-the-World-Changed-Social-Media_Hindi.pdf UCL Press 10.14324/111.9781787354937 दुनिया ने जैसे सामाजिक मीडिया को बदल दिया, हम क्यों पोस्ट करते हैं ग्रन्थ श्रृंखला का पहला ग्रन्थ है जो उन नौ मानवविज्ञानियों के निष्कर्षों पर जाँच करता है जिन्होंने दुनिया भर के समूहों में १५ महीने तक बिताया जिसमे शामिल है ब्राज़ील, चिली, चीन, इंग्लैंड, भारत, इटली, ट्रिनिडाड और टर्की. यह ग्रन्थ एक तुलनात्मक विश्लेषण को प्रदान करता है जो अनुसंधान के परिणाम को संक्षेप में प्रस्तुत करता है और राजनीति और लिंग, शिक्षा और व्यापार पर सामाजिक मीडिया के प्रभाव का पता लगाता है. दृश्य संचार पर बढ़ते हुए ज़ोर का परिणाम क्या है? क्या हम अधिक व्यक्तिगत या सामाजिक बनते हैं? क्यों सार्वजनिक सामाजिक मीडिया अधिक रूढ़िवादी होता है? क्यों ऑनलाइन समानता ऑफलाइन असमानता को बदलने में असफल होता है? कैसे मिमी इंटरनेट के नैतिक पुलिस बन गए? परियोजना के शैक्षिक ढाँचा और सैद्धांतिक शर्तों, जो निष्कर्षों के उत्तरदायी होने में मदद करते हैं, के परिचय से समर्थित होकर यह ग्रन्थ तर्क करता है कि सामाजिक मीडिया जैसे अन्तरंग और सर्वव्यापक वास्तु को समझने और मूल्यांकन करने का एक ही रास्ता पोस्ट करनेवाले लोगों के जीवन में तल्लीन होकर रहना है. तभी हम पता लगा सकते हैं कि दुनिया भर के लोगों ने जैसे सामाजिक मीडिया को अभी तक अप्रत्याशित तरीकों से बदल दिया हैं और उनके परिणाम पर आकलन कर सकते हैं. 10.14324/111.9781787354937 df73bf94-b818-494c-a8dd-6775b0573bc2 9781787354930 260 London open access
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